घर की रौनक है बेटियां, तो बेटे हो-हल्ला हैं,
गिल्ली है, डंडा है, कंचे है, गेंद और बल्ला है,
बेटियां मंद बयारों जैसी, तो अलमस्त तूफ़ान है बेटे,
हुडदंग है, मस्ती है, ठिठोली है, नुक्कड़ की पहचान हैं बेटे,
आंगन की दीवार पर स्टंप की तीन लकीरें हैं ...
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