योगा स्वामी दामदेव को गाने गाने का बेहद शौक था। चाहे जब अल्हड़-फक्खड़ होकर बेसुरी आवाज में गाने लगते। होली की तरंग में, कुछ-कुछ रंग में और कुछ-कुछ भंग में चले
↧